ऐसा लग रहा था जैसे आसमान में किसी ने अंगारे गिरा दिए हो। आसमान कुछ लाल,सुनहरा, हल्का बैंगनी और काला सा नज़र आ रखा था। मन में आया कि इसकी तस्वीर लेनी चाहिए और तस्वीर ले भी ली। आँखों से जितना सुन्दर दिख रहा था फोन के कैमरे में उतना सुन्दर न आ सका।
अब तस्वीर ले ली थी तो उस को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना था। बिना कैप्शन के तस्वीर पोस्ट करना तो गुनाह था इसलिए सोचने लगा। काफी सोचा। पहले हाइकु लिखने की सोच रहा था। फिर ऐसे ही पंक्तियाँ सोचने लगा और फिर न जाने कहाँ से एक ख्याल मन में आया। मन के किसी कोने से एक हूक सी उठी और यह पंक्तियाँ मन से उभर कर आईं। पहले पंक्तियाँ कुछ इस तरह से थी।
आकाश में आज फिर बिखरें हैं अंगारे,
शायद कहीं कोई दिल फिर सुलग रहा है…
– ‘अंजान’
और अब जाकर आख़िरकार कुछ ऐसी हुई है।
आसमां में आज फिर बिखरें हैं अंगारे,
शायद कहीं कोई दिल फिर सुलग रहा है…
– ‘अंजान’
लाइन लिख दी और पोस्ट भी कर दी। लेकिन मन अब उदास सा हो गया। कभी कभी मेरा मन न जाने क्यों उदास हो जाता है। बिना कारण से। ऐसा लगने लगता है देवदास मैं ही हूँ। ऐसे ही उदास मन से रूम में पहुँचा। फिर कॉफ़ी बनाई और पैरी मेसन का उपन्यास निकालकर पढ़ने लगा। लेकिन मन अभी भी विचलित था। किताब पढ़ी नहीं जा रही थी।कोशिश भी की लेकिन कुछ हुआ नहीं। और फिर सोचा कुछ फेसबुक पर पोस्ट करता हूँ और लिखना शुरू किया । कुछ इस तरह से उंगलियाँ कीबोर्ड को टिपटिपाने लगी कि यह बनकर आया:
मुझे इश्क के बारे में न बता,
कभी हुआ था मुझे भी ये,
भरी हैं मैंने भी ठंडी आहें,
देखकर उसे बढ़ती थी मेरी भी धकड़न,
कभी मेरे दिल में बसती थी वो मूरत,
कभी था मेरे दिल में भी प्रेम सागर,
फिर चटक गया एक दिन ये दिल,
अब रिस जाता है इससे सब,
प्यार, इश्क या वो कुछ जो बनाता है दुनिया को हसीं,
बस रह जाती है लिसलिसी सी हवस
-‘अंजान’
मुझे नहीं पता क्यों और कैसे यह बना। मेरे प्रिय लेखक स्टेफेन किंग कहते हैं कि जब हम लिखते हैं तो वो हम नहीं होते बल्कि कोई दूसरी ताकत होती है जो हमसे लिखवा रही होती है। कोई रेडियो हमारे दिमाग में होता है जो कि एक सिग्नल पकड़ लेता है और हम वो लिखते चले जाते हैं। आज ऐसा ही कुछ अनुभव हुआ।
क्या आपने ऐसा कुछ अनुभव किया है? अगर हाँ, तो कब? बताईयेगा जरूर।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
मन की ऊहापोह को बिना लाग-लपेट के बहुत अच्छे से लिखा है ।
भिखरे या बिखरें
शुक्रिया,मैम
होना तो बिखरे चाहिए था लेकिन न जाने भिखरे कैसे आ गया…सुधार कर लिया है… शुक्रिया बताने के लिए…