पिछली पोस्ट में हमने यूकैरियोटिक कोशिका की बात की थी और यह बताया था कि कैसे यह कोशिका एक तरह से धरती पर मौजूद सभी बहुकोशकीय जीवों का पूर्वज कहला सकते हैं। जब हम मनुष्य से पहले मौजूद चीजों की बात करते हैं तो एक विचार मन में आये बिना नहीं रह सकता है कि जब मनुष्य उस वक्त मौजूद नहीं था तो वह अपनी उत्पत्ति से पहले धरती पर पैदा होने वाले और विचरण करने वाले जीवों के विषय में कैसे जान सकता है?
क्या उसके पास कोई जादुई शीशा है जिसमें झाँककर वह गुजरे जमाने की बातें पता कर लेता है। या ये सब एक तरह किसी की कल्पना की उड़ान है? ऐसी क्या चीज है जिसके चलते हम लोग इतनी सारी बातें करते हैं?
देखिए ये तो आप भी जानते होंगे कि वैज्ञानिक बातें सबूतों के आधार पर ही बोली जाती हैं। जो सबूत मिलते हैं उसे देखकर वैज्ञानिक चीजों का अंदाजा लगाते हैं। और प्राचीनतं जीवों की जहाँ बात होती है वहाँ सबूत होते हैं वह फॉसिल यानी जीवाश्म जो हमें यदा कदा धरती या समुद्र की गहराइयों में मिलते रहते हैं। यह फॉसिल ही होते हैं जिनके आधार पर वैज्ञानिक वो थ्योरियाँ देते हैं जिसके चलते हम धरती पर मनुष्यों से पहले मौजूद जीवों के ऊपर इतना कुछ लिख पाते हैं। आज के लेख में हम फॉसिलो या जीवाश्मों पर ही बात करेंगे।
क्या होते हैं फॉसिल?
पृथ्वी पर मौजूद जीवों के ऐसे अवशेष जो कि अच्छे तरीके से बचे रह गए या जीवों के ऐसे छापे जो कि धरती की सतह पर या चट्टानों की परतों पर सुरक्षित पाए जाते हैं उन्हें फॉसिल या जीवाश्म कहते हैं।
फॉसिल लैटिन भाषा के शब्द ‘फॉसिलस’ से बनाया हुआ शब्द है जिसका अर्थ होता है खोद कर प्राप्त की गई वस्तु।
इन जीवाश्मों के अध्ययन की विधा को जीवाश्म विज्ञान या पेलियनटोलॉजी (Paleontology) कहा जाता है।
यह जीवाश्म बहुत बड़े भी हो सकते हैं और बहुत छोटे भी हो सकते हैं। कुछ फॉसिल,जिन्हें माइक्रोफॉसिल कहा जाता है, ऐसे होते हैं जो कि नंगी आँखों से नहीं देखे नहीं जा सकते हैं और उन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती है। यह बैक्टीरिया या इसी तरह के एक कोशकीय जीवों के फॉसिल रहते हैं। वहीं कुछ फॉसिल, जिन्हें मैक्रोफॉसिल कहते, ऐसे होते हैं जो कि कई मीटर लंबे होते हैं कई हजार किलो के होते हैं। मैक्रोफॉसिल एक पूरा डायनासौर या पेड़ भी हो सकता है।
समुद्र के नीचे मिली मिट्टी में पाए गए कुछ माइक्रोफॉसिल स्रोत: विकिडिया |
कुछ मैक्रोफॉसिल; स्रोत: पिक्साबे |
ऐसा भी जरूरी नहीं है कि पूरा का पूरा जीव ही जीवाश्म बने। कई बार एक जीवाश्म में पूरा जीव होता है और कई बार जीव का एक भाग ही फॉसिल बन पाता है। कई बार कंकाल जीवाश्म में पाया जाता, कई बार पाँव के निशान ही पाए जाते हैं, कई बार चीजों के केवल साँचे ही पाए जाते हैं।
इन जीवाश्मों की मदद से ही वैज्ञानिक यह पता लगाते हैं कि कौन कौन से जीव धरती पर पहले मौजूद थे और अब मौजूद नहीं हैं।
कैसे बनते हैं फॉसिल?
फॉसिल की बात तो ऊपर हो गई। इसके बाद जो अगला प्रश्न मन में उठता है वह है कि यह फॉसिल बनते कैसे हैं?
जीवाश्मों की बात की जाए तो ऐसा जरूरी नहीं है धरती पर मौजूद हर जीव जीवाश्म में तब्दील हो जाए। जीवाश्म बनने के लिए कुछ शर्तें होती हैं जो अगर पूरी हो तो ही एक जीवाश्म का निर्माण होगा।
जीवाश्म बनने की सबसे पहली शर्त यह है कि वह जीव ऐसा होना चाहिए जिसका या तो कंकाल हो या कोई कठोर अंग मौजूद हों। ऐसे जीव जिनके ना तो कंकाल होते हैं और न ही कठोर अंग उनका शरीर कई तरह के केमिकल रिएक्शन के चलते विघटित हो जाता है और कुछ अवशेष बचे नहीं रहते हैं। यानी ऐसे जीव जिनका कोई कठोर अंग या कंकाल मौजूद नहीं है उनके विषय में मनुष्य के पास कोई जानकारी ही नहीं है।
वहीं जीवाश्म बनने की दूसरी शर्त यह होती है कि ऐसी परिस्थितियाँ मौजूद हो कि उस जीव के कंकाल या कठोर अंग प्राकृतिक तत्वों से होने वाले नुकसान से बच जाए। ऐसा तभी होता है जब वह मिट्टी या पत्थर या धरती में किसी तरह ढका हुआ हो। ऐसी परिस्थितियाँ पाना थलवासी जीवों के लिए बहुत मुश्किल होता है जब कि जल में रहने वाले जीवों के लिए ऐसी परिस्थितयाँ उत्पन्न होना बहुत आसान होता है। यही कारण होता है कि जलवासी जीव के फॉसिल में तब्दील होने की संभावना ज्यादा होती है। धरती पर अगर भूकंप आए जिससे धरती फटे और जीव उसमें समा जाए, या ऐसे इलाकों में जहाँ पर रेत हो वहाँ रेत में दबने पर भी जीव के जीवाश्म बनने की संभावना ज्यादा होती है।
तो अगर कोई जीव ऊपरी दो शर्तें पूरी करता है तो वह जीवाश्म बन सकता है। कहा जाता है कि अगर किसी जीव के अवशेष 10000 साल तक विघटित होने से बचे रह गए तो वह जीवाश्म में तब्दील हो जाता है।
सबसे पहला फॉसिल कब मिला था?
कहा जाता है कि 6 शताब्दी ई सा पूर्व में कोलोफोन के रहने वाले दार्शनिक जेनोफोन्स ने कौड़ियों (seashell) के जीवाश्म को शेलफिश के जीवाश्मों के रूप में पहचाना और यह तर्क दिया कि सूखी हुई धरती भी कभी समुद्र से ढकी हुई थी।
सबसे पुराने फॉसिल क्या हैं?
स्ट्रोमेटोलाइट्स सबसे पुराने जीवाश्म माने जाते हैं। यह 3.5 अरब साल पहले बने थे।
Image by Bernd Hildebrandt from Pixabay, रेड केप औस्ट्रेलिया के स्ट्रोमेटोलाइट्स |
तो यह थी फॉसिल से जुड़ी कुछ बातें। इससे कुछ बातें तो साफ हैं। पहली ये कि धरती के शुरुआती वर्षों में धरती पर रहने वाले जीवों का बहुत कम प्रतिशत जीव ही ऐसे थे जिनका फॉसिल बना था। वहीं कई जीव ऐसे भी होंगे जिनके फॉसिल तो होंगे लेकिन वह धरती या समुद्र के गर्भ में छिपे होंगे। मनुष्यों की नज़रों से दूर। इस बात से हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि मनुष्यों से पहले की धरती के विषय में हमारी जानकारी कितनी कम है और कितनी अधूरी।
उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।
सोर्स:
ब्लॉगचैटर A to Z के लिए लिखी हुई सभी पोस्ट्स निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती हैं:
फॉसिल के बारे में अच्छी जानकारी………. 👍👍👍👍👍👍👍……
जी आभार…
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (09-04-2022) को चर्चा मंच "हे कवि! तुमने कुछ नहीं देखा?" (चर्चा अंक-4395) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चाअंक में मेरी पिस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
अच्छी जानकारी
अच्छी जानकारी ।
Such an interesting and enlightening post.
जी आभार…
शुक्रिया सर…
Glad you liked it.
साइंस की क्लासेज़ याद आ रही हैं । लाजवाब पोस्ट ।
जी आभार मैम…