संस्मरण: इसको तो खाना नहीं दूँगा

संस्मरण: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’

बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …

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गाँव का घर.तस्वीर 2021 की है जब उधर जाना हुआ था

संस्मरण: प्याज की सब्जी और दो पपीते

यह कबकी बात है ये तो ठीक तरह से याद नहीं। मैं तो बब्बू भैया छोटे छोटे ही थे। मैं शायद चौथी पाँचवीं में रहा हूँ और भैया शायद दसवीं …

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ये पहाड़ी खाना है मेरे दिल के करीब

ये पहाड़ी खाना है मेरे दिल के करीब

भारत विवधताओं का देश है और यह चीज यहाँ रहने वाले लोगों के चेहरे मोहरे, भाषा-बोली, कपड़ों के साथ साथ खाने पीने पर भी लागू होती है। मैं मूलतः उत्तराखंड …

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वो चीजें जिनकी शक्ल पसंद आने के कारण मैंने उन्हें काफी टाइम तक नहीं खाया

वो चीजें जिनकी शक्ल पसंद आने के कारण मैंने उन्हें काफी टाइम तक नहीं खाया

मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है चीजों का स्वादिष्ट होने के साथ साथ अच्छा दिखना भी जरूरी होता है। कई बार चीजें होती तो अच्छी हैं लेकिन वो दिखती ऐसी …

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रोटी, पराठे और बचपन

भारतीय घरों की बात की जाए तो खाने में रोटी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। नाश्ता हो, दिन का खाना या फिर रात का खाना। अधिकतर घरों में रोटी बनने …

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