संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’
बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …
संस्मरण पौड़ी के: ‘इसको तो खाना नहीं दूँगा’ Read Moreकिस बात की जल्दी है तू ठहर जरा, बैठ चाय पीते हैं दो बातें करते हैं
बचपन में जब पॉपआई को पालक खाकर ब्लूटो को मारते हुए देखता तो मन में ये आता था कि पॉपआई पालक की जगह गोभी, मटर, या बैंगन खा लेता तो …
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यह कबकी बात है ये तो ठीक तरह से याद नहीं। मैं तो बब्बू भैया छोटे छोटे ही थे। मैं शायद चौथी पाँचवीं में रहा हूँ और भैया शायद दसवीं …
संस्मरण: प्याज की सब्जी और दो पपीते Read More
बहुत दिनों से मैं कहीं घूमने जाने की सोच रहा था लेकिन जा नहीं पा रहा था। आखिरी बार मार्च में मैं शंकर अंतर्राष्ट्रीय म्यूजियम, फ़िरोज़ शाह कोटला और खूनी दरवाजा गया था। उसके बाद कहीं निकलने का मौका ही नहीं लगा। फिर पिछले दो हफ़्तों से तो कमर में चोट लगी हुई है तो जाने का सवाल ही नही था।
उग्रसेन की बावली और एक अन्य जगह जहाँ जा न सके Read More