गजब ढाते हो

खुद ही ज़ख्म देके मरहम लगाते हो ,
मेरी जान क्यूँ मुझ पर गजब ढाते हो ,

मेरी हालत देख कर जब तुम मुस्कुराते हो ,
पता है कितना मुझ पर गज़ब ढाते हो ,

जब भी मेरे इश्क ए इकरार को तुम नकारते हो ,
मेरी जान मुझ पर गज़ब ढाते हो ,

जानता हूँ जानबूझकर तुम मुझे चिढ़ाते हो ,
पर सोचा है कभी कितना मुझ पर गज़ब ढाते हो ,

मेरे सपनो में आकर मुझे जगाते हो ,
जाने क्यूँ मुझ पर इतना ग़जब ढाते हो।

विकास ‘अंजान’

© २०१४ विकास नैनवाल  

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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