जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,
सोचता हूँ ये क्या हो रहा हैं मुझे ,
क्या नाम है इस मर्ज का मेरे ,
रह रह कर मुस्कराता हूँ मैं ,
मुझको देख कर मुस्कुराते हैं साथी मेरे ,
जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,
पूछते हैं क्या हो गया है तुझे,
परेशां होते हैं वो हालात पे मेरे ,
कहता हूँ उनसे दुनिया और हसीं हो गयी है ,
सपने और खूबसूरत हो चले हैं मेरे ,
ये सुनकर उन्हें हैरत होती है ,
नहीं आते हैं उन्हें समझ जज़्बात मेरे ,
नादान हैं वो , शायद इश्क नहीं किया उन्होंने कभी ,
या शायद कुछ अलग से ही हैं हालात मेरे ,
जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,
विकास ‘अंजान’
नोट : copyright © २०१४ विकास नैनवाल