ख्याल और मुस्कराहट

ख्याल और मुस्कराहट

जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,

सोचता हूँ ये क्या हो रहा हैं मुझे ,
क्या नाम है इस मर्ज का मेरे ,

रह रह कर मुस्कराता हूँ मैं ,
मुझको देख कर मुस्कुराते हैं साथी मेरे ,

जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,

पूछते हैं क्या हो गया है तुझे,
परेशां होते हैं वो हालात पे मेरे ,

कहता हूँ उनसे दुनिया और हसीं हो गयी है ,
सपने और खूबसूरत हो चले हैं मेरे ,

ये सुनकर उन्हें हैरत होती है ,
नहीं आते हैं उन्हें समझ जज़्बात मेरे ,

नादान हैं वो , शायद इश्क नहीं किया उन्होंने कभी ,
या शायद कुछ अलग से ही हैं हालात  मेरे ,

जब भी आते हैं मुझे ख्याल तेरे
न जाने क्यूँ मुस्कुराते हैं लब मेरे ,

विकास ‘अंजान’

नोट : copyright  © २०१४ विकास नैनवाल  

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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