गिरफ्तारी – अम्ब्रोस बिएर्स

गिरफ्तारी - अम्ब्रोस बिएर्स

‘Ambrose Bierce’ की कहानी  ‘An Arrest’ का हिंदी अनुवाद

लेखक के विषय में :

अम्ब्रोस बिएर्स अमेरिकी लेखक थे। उन्होंने अमेरिकी गृह युद्ध में हिस्सा लिया था। उनकी किताब डेविल्स डिक्शनरी को अमेरिकी साहित्य की १०० सबसे श्रेष्ठतम कृतियों की सूची में रखा गया है। उनके विषय में पूरी जानकारी इधर प्राप्त कर सकते हैं।

ये कहानी Present at hanging and other stories नाम के कहानी संग्रह में मौजूद थी।

गिरफ़्तारी

अपने बहनोई के क़त्ल करने के बाद, केंटकी का ओर्रिन ब्रोवर, कानून के नज़रों में एक फरार अपराधी था। काउंटी जेल,जहाँ वो अपने ट्रायल का इंतजार कर रहा था, से वो फरार हो चुका था। उसने जेलर को एक लोहे की छड़ से मारकर बेहोश कर दिया था और उससे चाबी हथियाने के बाद रात के अंधेरे में वो जेल से भाग निकला था । जेलर चूँकि उस वक्त  हथियारबंद नहीं था इसलिए ब्रोवर को बिना किसी हथियार के ही उधर से भागना पड़ा था। जैसे ही वो कस्बे से बाहर निकला वो एक जंगल के भीतर चला गया। यहीं उससे गलती हो गयी थी। जब ये घटना घटित हो रही थी तो वो इलाका लगभग बीहड़ हुआ करता था, इसलिए  जंगल में घुसने से  उसके रास्ता भटकने की संभावना काफी बढ़ गयी थी।

रात का अँधेरा गहराता जा रहा था।  आसमान से चाँद और तारों के नदारद होने से भी रात की कालिमा कई गुना बढ़ गयी थी। ब्रोवर चूँकि उधर का निवासी नहीं था तो वो उस इलाके से अनजान था। कुछ तो गहरा अँधेरा और कुछ उसके उस जगह से अनजान होने के कारण वो कुछ वक्त बाद ही रास्ता भटक चुका था। अब उसके लिए ये बताना भी मुश्किल था कि वो कस्बे से दूर जा रहा था या फिर कस्बे की तरफ को  आ रहा था। वो जानता था कि दोनों में से कोई भी बात हो लेकिन  लोगों का एक दस्ता खोजी कुत्तों की तरह उसके पीछे जल्द ही लग जाएगा। इससे उसके भाग निकलने की संभावना काफी कम हो जाएगी। उसे अपने आप को पकड़वाने की कोई इच्छा नहीं थी और वो किस दिशा में बढ़ रहा था इसी बात पर उसकी आज़ादी निर्भर करती थी। अगर एक घंटे की आज़ादी भी उसे मिलती तो वो उसको पाने की भी चाहत रखता था।

इसी सोच में डूबा वो चलता जा रहा था जब अचानक से वो जंगल से होता हुआ एक पुरानी सड़क पे निकल आया।  दूर अँधेरे में मौजूद एक आकृति ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया। आकृति अँधेरे के कारण धुंधली सी दिखाई दे रही थी लेकिन वो जानता था कि हो न हो वो कोई आदमी ही था। उसे मालूम था कि अब वापस मुड़ा नहीं जा सकता था। इसके लिए अब बहुत  देर हो चुकी थी। यकायक ब्रोवर के मन में न जाने कहाँ से ये हाहाकारी ख्याल आया कि अगर वो जंगल की तरफ मुड़ता है तो उस आकृति द्वारा गोलियों से छलनी कर दिया जायेगा। इसी अप्रत्याशित ख्याल ने उसे जड़ कर दिया। वही वो आकृति भी हिलने का नाम नहीं ले रही थी।  ब्रोवर को  अपने दिल की बढ़ती धड़कनों के कारण अपना दम घुटता महसूस हो रहा था। दूसरा व्यक्ति के मन में उठते भावों के विषय में कुछ भी कहना मुमकिन न था।

ऐसे ही जड़वत खड़े न जाने कितने लम्हे बीत गए।  ये वक्फा कुछ क्षणों का भी हो सकता था या  एक घंटे का। उस दौरान कुछ भी कहना मुहाल था। इसी दौरान चाँद बादल के ओट से तैरता हुआ आया और उसने अपनी चांदनी से उस जगह को प्रकाशित कर दिया। इसी चाँदनी के प्रकाश में ब्रोवर ने देखा कि आकृति ने अपने हाथ को उठाकर ब्रोवर के आने की दिशा की तरफ इशारा किया। ब्रोवर इस इशारे को बखूबी समझ रहा था। उसे मालूम था कि अब उसके पास अब कोई चारा नहीं बचा था। उसने अपने पकड़ने वाले के तरफ पीठ घुमाई और निर्देशित दिशा की तरफ बढ़ने लगा। अब वो सीधा आगे बढ़ता चला जा रहा था- न वो दायें देखता और न ही बायें देखता। शायद उसे इस बात का एहसास था कि उसकी किसी भी अवांछित हरकत से उसके ऊपर गोली चलाई जा सकती थी। उसको गिरफ्तार करने वाला  उसके पीछे पीछे चला आ रहा था।

ब्रोवर एक खूँखार अपराधी था। जिस नृशंस तरीके से उसने अपने बहनोई का क़त्ल किया था उससे उसके कठिन परिस्थितियों में भी संतुलित रहने का पता चलता था। आखिर  उसके जटिल परिस्थितियों में दिमाग संतुलित करने के गुण ने ही उसकी भागने में मदद की थी। लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था। आदमी कितना भी बहादुर है लेकिन जब वो हार जाता है तो समर्पण कर ही देता है। यही ब्रोवर के साथ भी हुआ था। उसने भी हथियार डाल दिये और खुद को भाग्य को सौंप दिया।

अब वो दोनों जंगल से होते हुए जेल की तरफ बढ़ने लगे । ब्रोवर ने  खाली एक बार अपनी गर्दन घुमाकर पीछे देखने की जुर्रत की थी। ये काम उसने तब किया जब वो  खुद तो छाया में था लेकिन उसको पकड़ने वाला चाँदनी के प्रकाश में पहचाना जा सकता था। उसको पकड़ने वाला बर्टन डफ था। उसका चेहरा मृत व्यक्ति की तरह सफ़ेद पड़ा हुआ था और भौं पर चोट के निशान थे जो कि उस लोहे के छड़ से पड़े थे जिससे ब्रोवर ने उसके ऊपर हमला किया था। ओर्रिन ब्रोवर को अब और कुछ नहीं जानना था।

आखिरकार वो लोग वापस कस्बे में दाखिल हुए । क़स्बा पूरी तरह से रौशन तो था लेकिन सुनसान था। घरों में मौजूद बच्चों और औरतों को छोड़कर कस्बें में कोई नहीं था । ब्रोवर सीधे जेल की तरफ चलता रहा। वो जेल के मुख्य द्वार तक गया और उसने लोहे के भारी दरवाज़े के दस्ते को हाथ से पकड़ कर अन्दर को धकेला। ये सब उसने बिना किसी आदेश के किया और जब वो अंदर दाखिल हुआ तो उसने खुद को आधे दर्जन हथियारबंद लोगों के सम्मुख पाया। वो पलटा। उसके पीछे कोई नहीं खड़ा था।

गलियारे में टेबल रखा हुआ था जिसके ऊपर बर्टन डफ़ की लाश पड़ी हुई थी।

© विकास नैनवाल 

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “गिरफ्तारी – अम्ब्रोस बिएर्स”

  1. बहुत ही खूबसूरत अनुवाद है।पढ़ के कहीं भी इसे मूल कहानी से अलग नहीं पाया।आप अपनी कोशिश आगे भी जारी रखें।अगले कहानी का इंतजार रहेगा।

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