एक दिन कबूतरों के एक जोड़े पर नज़र चली गई और फिर अपने जीवन में मौजूद प्रेम कबूतरों का ख्याल मन में आ गया। उसी से ये निकला है। यह क्या है? इसका तो मुझे अंदाजा नहीं है, पर शायद इसमें सच्चाई है। कम से कम अपने अनुभवों से जो मैंने जाना है वह तो समाहित ही है।
गुटुर गुटुर
पुच पुच
आह आह
वाह वाह
गुटुर गुटर
गुटुर गुटुर
गुटर गुटर
किच किच
कांय कांय
झांय झांय
व्हाई व्हाई
डाई डाई,
हाय हाय,
गुटुर गुटुर
गुटुर गुटर
गुटुर गुटुर
पुच पुच
आह आह
वाह वाह
-अंजान
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
ये प्रेम की गुटुर गू है … प्रेमी ही समझ सकता है …
बहुत खूब ….
सही कह रहे हैं। पल में तोला,पल में माशा हो जाते हैं। उनकी इसी प्रवृत्ति को दर्शाने की कोशिश है।
आकर्षण,सामीप्य,नोकझोंक, प्यार और झड़प यही तो होता है लव लाइफ में।
लव बर्ड की जिंदगी का वास्तविक वर्णन किया है आपने।
बहुत बढ़िया।
जी, शुक्रिया।