प्रेम कबूतर

प्रेम कबूतर | कविता | विकास नैनवाल 'अंजान'

एक दिन कबूतरों के एक जोड़े पर नज़र चली गई और फिर अपने जीवन में मौजूद प्रेम कबूतरों का ख्याल मन में आ गया। उसी से ये निकला है। यह क्या है? इसका तो मुझे अंदाजा नहीं है, पर शायद इसमें सच्चाई है। कम से कम अपने अनुभवों से जो मैंने जाना है वह तो समाहित ही है।

गुटुर गुटुर
पुच पुच 
आह आह
वाह वाह

गुटुर गुटर 
गुटुर गुटुर

गुटर गुटर 
किच किच
कांय कांय
झांय झांय
व्हाई व्हाई 
डाई डाई,
हाय हाय,

गुटुर गुटुर
गुटुर गुटर

गुटुर गुटुर
पुच पुच 
आह आह
वाह वाह

-अंजान

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “प्रेम कबूतर”

  1. आकर्षण,सामीप्य,नोकझोंक, प्यार और झड़प यही तो होता है लव लाइफ में।
    लव बर्ड की जिंदगी का वास्तविक वर्णन किया है आपने।
    बहुत बढ़िया।

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