काम काज को धता बता रक्खा है,
जनता को सरकार से खफा बता रक्खा है
जमा के मजमा ज़माने भर का
नेता ने खुद को खुदा बता रक्खा है,
सी कर ज़बाँ वो रहता है चुप चुप,
लोगो ने उसको शिकवा बता रक्खा है,
रख दे अपने ये लब मेरे लबों पर,
हकीम ने बोसे को तेरे दवा बता रक्खा है
लौट आये बिना मिले तुमसे, जो वो अंजान
सुना, रुसवा दुनिया ने उन्हें तुमको बता रक्खा है,
विकास नैनवाल ‘अंजान’
बोसा – चुम्बन, रुसवा – बदनाम
गजब
जी शुक्रिया