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गर्मी का मौसम आ चुका है और इसके साथ ही उत्तर भारत में ‘लू’ चलने लगी है।
बचपन में जियोग्राफी के विषय में पढ़ा था कि उत्तर भारत में चलने वाली गर्म हवा को ‘लू’ कहा जाता है। उसके विषय में इतना पढ़कर हम इसे भूल गये थे क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी कस्बे पौड़ी में ‘लू’ नाम की चीज के चलने का कोई तुक ही नहीं था।
पर अभी कुछ दिनों पहले मेरी एक सहकर्मचारी की एक रिश्तेदार के विषय में पता चला कि उनकी अचानक तबियत खराब हो गई है। डॉक्टर को दिखाया तो कारण लू लगना बताया गया। दिन में वो ऑफिस चले गये थे और इस कारण उनकी तबियत बिगड़ गई थी। अब वह ठीक थे लेकिन अगर उन्होंने ऐतिहात बरती होती तो शायद तबियत बिगड़ती ही नहीं। वैसे भी जानकारी ही बचाव है। और इलाज से बचाव हमेशा बेहतर रहा है।
यही देखकर मैंने सोचा लू के विषय में एक लेख अपने ब्लॉग पर भी लिखना चाहिए। निम्न लेख में आपको मैं बताऊँगा कि लू क्या है? वो क्यों चलती है? उसके बचाव के लिए आप क्या क्या कर सकते हैं?
लू क्या है?
लू उत्तर भारत और पाकिस्तान में चलने वाली गर्म हवा का नाम है। यह अक्सर मई से जून से के बीच चलती है। और मानसून आने तक इसका प्रकोप जारी रहता है। लू के चलने पर तापमान 45 डिग्री सेन्टीग्रेड तक जा सकता है ।
लू के चलने से जो ऊष्माघात होता है उसे लू लगना कहते हैं। यह प्राणघातक भी हो सकती है। हिन्दुस्तान टाइम्स की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार सालों में गर्म हवा के चलने के कारण 4000 से ऊपर जाने जा चुकी हैं। तो यह एक गम्भीर मामला है।
लू कैसे चलती है?
लू के विषय में जानने से पहले आपको वायुमंडलीय दबाव,हाई प्रेशर (उच्च दाब क्षेत्र) और लो प्रेशर (अल्प दाब क्षेत्र) इलाकों के विषय में जानना होगा।
ऐसे समझे हमारी धरती पर जो वायु है वह एक दबाव धरती के ऊपर पैदा करती है। यह दबाव पृथ्वी के सभी इलाकों में एक जैसा नहीं होता है। कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ ये ज्यादा होता है और कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ ये कम होता है। और हवा ज्यादा दबाव वाले इलाके से कम दबाव वाले इलाके की तरफ जाती है।
हाई प्रेशर क्षेत्र वह इलाके होते हैं जहाँ का वायुमंडलीय दबाव अपने आस पास के इलाकों से ज्यादा होता है। वहीं अल्प दबाव क्षेत्र वह इलाका होता है जहाँ वायुमंडलीय दबाव अपने आस पास के इलाके से कम होता है।
मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि गर्म हवा का घनत्व ठंडी हवा से कम होता है। यानि जैसे जैसे इलाका गर्म होगा वैसे वैसे हवा भी गर्म होगी और उसका घनत्व कम होता जायेगा। वह ऊपर उठेगी और इस कारण वहाँ एक अल्प दबाव क्षेत्र(लो प्रेशर एरिया) बन जायेगा। फिर हवा आस पास के उच्च दबाव क्षेत्र (हाई प्रेशर एरिया) से इस इलाके की तरफ आएगी।
इसी दबाव के फर्क के कारण समुद्री इलाकों में मौसम पूरे साल भर खुशनुमा रहता है। और इसी दबाव के कारण लू का जन्म भी होता है।
मई से जून के महीने में में दक्षिण बलूचिस्तान और थार के रेगिस्तानी इलाकों में अत्यधिक गर्मी होती है। इस कारण वहाँ अल्पदबाव क्षेत्र (low pressure area) बन जाता है। इस कारण उत्तरी अरब सागर से हवा इस लो प्रेशर एरिया की तरफ आने लगती है। इस हवा में उस वक्त नमी होती है लेकिन फिर बीच में इतने गर्म इलाके आते हैं (राजस्थान,गुजरात ) कि उत्तर भारत तक पहुँचते पहुँचते ये हवा सूखी और गर्म रह जाती है। इसकी सारी नमी चली जाती है। और इसी तेज गर्म हवा को लू कहा जाता है।
दोपहर के समय यह हवा 45 डिग्री सेन्टीग्रेड तक पहुँच सकती है। और जब ऐसी हवा के थपेड़े जीव जंतुओं पर पड़ते हैं तो उनके लिए यह खतरनाक होनी ही है।
लू(ऊष्माघात) से बचाव कैसे करें?
अगर आप बेहद गर्म इलाके में रहते हैं तो यह मान कर चलिए कि दिन भर में सबसे ज्यादा दोपहर के समय गर्मी रहती है। आप आपको कुछ चीजों के ऊपर ध्यान देने की जरूरत होगी ताकि आप इसके दुष्प्रभाव से बच सकें:
- दोपहर के समय बाहर निकलने से बचिए
- अगर बाहर निकलना भी है तो टोपी,छाता,चश्मा इत्यादि लेकर चलिए ताकि धूप कम से कम लगे
- गर्मी में पसीने से काफी पानी शरीर से निकलता है। इस कारण डिहाइड्रेशन(शरीर में पानी की कमी) होने का खतरा रहता है। इसलिए खूब पानी पीजिये।
- गर्मी के मौसम में मौसमी फलों(जैसे खरबूज,तरबूज इत्यादि), शिकंजी,आम पन्ना और अन्य ऐसे ही पेय पदार्थों का सेवन कीजिये। इससे आपको जरूरी पोषक तत्व भी मिलेंगे और आपके शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी।
- हल्का भोजन रखिये जिससे पचाने में आसानी हो
- दही.छाँछ सत्तू इत्यादि का सेवन कीजिये यह चीजें शरीर का तापमान कम करने में मदद करती हैं
- चाय और कॉफ़ी का प्रयोग कम कीजिये। यह चीजें डाई युरेटिक होती हैं। यानी इनके सेवन से शरीर से ज्यादा पानी निकलता है। अगर आप इन्हें पीते भी हैं तो पानी की मात्रा भी आम दिनों के मुकाबले बढ़ाइए ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
- कपड़े भी ढीले ढाले और हल्के पहनिए ताकि पसीना कम से कम निकले और शरीर का तापमान भी कम रहे।
लू लगने की पहचान:
जब भी ऊष्माघात होता है उसके लक्षण आपको दिखने लगते हैं। ये लक्षण निम्न हैं:
- हाथेलियों और पैरों के तलवों में जलन होना
- चक्कर आना
- बुखार आना
- उल्टी आना
- कमजोरी महसूस करना
- माँस पेशियों में खिंचाव महसूस करना
लू लगने के बाद क्या उपचार करें?
अगर आपको ऊपर दिये गये कुछ भी लक्षण नज़र आते हैं तो सबसे पहले डॉक्टर को दिखाएं और उनके निर्देशानुसार कार्य करें। इलाज के बाद ऊपर दी गई ऐतिहातों को बरतें।
याद रखें। इलाज से बेहतर बचाव होता है। गर्मी का मौसम है, खुद का और अपने जानने वालों का ख्याल रखें। खुद को हाइड्रेटेड रखें और गर्मी में दोपहरी में बाहर निकलने से बचें।
उम्मीद है यह लेख आपके किसी काम आया होगा।
अगर कुछ जानकारी गलत है या कुछ रह गया है तो टिप्पणी के माध्यम से बताएं। मैं सुधार कर लूँगा।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
बढ़िया और रोचक जानकारी।
बुलेटिन में पोस्ट को शामिल करने के आभार शिवम् जी।
जी आभार,हितेश भाई।
अच्छी एवं उपयोगी जानकारी
जी शुक्रिया,मैम।
उपयोगी जानकारी…., बहुत बढ़िया पोस्ट ।
जी, हार्दिक आभार मैम।
बहुत उपयोगी जानकारी, विकास जी।
जी आभार, मैम।
बढ़िया उपयोगी जानकारी
हार्दिक आभार, संजय जी।
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 04/05/2019 की बुलेटिन, " इसलिए पड़े हैं कम वोट – ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है … सादर आभार !