अलाव

अलाव
अलाव
र्द शाम हो
एक गर्म अलाव हो
तू हो
और होऊँ मैं,
दोनों मिलकर
बन जाएँ हम
बस है यही
मेरी ख्वाहिश
पर
जब
इस शाम में
तू नहीं है पास
तो
अलाव के पास बैठा
करता हूँ याद
मैं तुझे
तेरी बातों को
तेरी मुस्कराहट को
और फिर
मुस्कराता हूँ
मैं
महसूस करके
उस तपन को
जो कि है शायद
तेरी मोहब्बत की
या फिर मेरे मन से जलते
इस अलाव की

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

#फक्कड़_घुम्मकड़
#पढ़ते_रहिये_घूमते_रहिये

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “अलाव”

  1. बहुत सुन्दर सृजन.. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई विकास जी ।

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