नोट: मिसेज डेवनपोर्ट का भूत फ्रेडरिक पी श्रेडर की लिखी कहानी मिसेज डेवनपोर्ट्स घोस्ट का हिन्दी अनुवाद है। यह कहानी 1904 में डब्ल्यू बॉब होलैंड द्वारा सम्पादित किताब 25 घोस्ट स्टोरीज में प्रकाशित हुई थी। किताब पब्लिक डोमेन में है और आप इसे निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
फ्रेडरिक पी श्रेडर की यह कहानी आध्यामवाद को केंद्र में रखकर लिखी गयी है। पाश्चात्य देशों में 1840 से 1920 के बीच स्प्रिचुअलिस्म या आध्यामवाद विकसित हुआ था। उस दौरान कई लोग इस धार्मिक आन्दोलन से जुड़े थे। यहाँ तक शर्लाक होल्म्स के रचियता आर्थर कॉनन डोयल भी इस आन्दोलन से जुड़े हुए थे।
आध्यात्मवाद से जुड़े लोगों का मानना था कि आत्माओं का अस्तित्व था और अगर मनुष्य चाहे तो वह इन मृत आत्माओं से बातचीत कर सकता था। हाँ, केवल कुछ ही लोगों, जिन्हें माध्यम कहा जाता था, में यह ताकत होती थी कि वह मृत आत्मा को बुला सकें और उनसे बातचीत कर सके। चूँकि कई लोगों का झुकाव अध्यात्मवाद की तरफ था तो उन दिनों कई ऐसे माध्यम भी पैदा हो गये थे जो यह दावा करते थे कि वह आत्मा बुलाकर उनसे बातचीत कर सकते हैं। इन माध्यमों का आध्यात्माद से जुड़े लोगों के बीच में काफी प्रभाव था और इस कारण कई जालसाज खुद को ऐसे माध्यमों के रूप में स्थापित करते थे। इस कहानी में भी एक ऐसे ही जालसाज माध्यम को दर्शाया गया है। चूँकि यह विषय मुझे रोचक लगता है तो इस कारण मैंने इस कहानी का अनुवाद करने का निर्णय किया। उम्मीद है यह कोशिश आपको पसंद आयेगी।
आध्यात्माद के ऊपर विस्तृत जानकारी आप निम्नं लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
आध्यात्मवाद(Spritualism)
प्यारे पाठकों क्या आप हैमलेट से सहमत हैं? क्या आपको लगता है कि स्वर्ग और इस धरती के बीच उन बातों, जिन्हें हमने अपने दर्शनशास्त्रों में सोचा है, के अलावा भी बहुत कुछ है? क्या आपको यह मुमकिन लगता है कि एलिफस लेवी ने मेजिआई के पैगम्बर टायना के अप्पोलोनियस की आत्मा को लन्दन के एक होटल में बुला लिया हो? या क्या आपको इस कहानी पर विश्वास होता है कि महान संत विलियम क्रुक्स ने कई महीनों तक नाश्ते की चाय हफ्ते में कई दिन एक मृत जवान लड़की की आत्मा, जिसने लिनन की सफेद पौशाक पहनी थी और जिसके की सिर पर पक्षियों के पंखों से बनी एक पगड़ी थी, की संगति में ली हो?
हँसिये मत! मुझे यकीन है कि एक पगड़ी में मौजूद आत्मा भी अगर आपके समक्ष खड़ी हो जाए तो आप आतंकित जरूर हो जायेंगे और यह विचित्रता आपके डर को कई गुना बढ़ा देगी। जहाँ तक मेरी बात है, कल रात जब मैंने न्यू यॉर्क के एक अखबार में एक अपराधिक मामले, जिसका अंत शायद मुलजिम की मौत की सजा के रूप में हो, के विषय में पढ़ा तो यकीन मानिए मुझे तो हँसी नहीं ही आई थी।
यह एक मन को दुखी करने वाला मामला है। यकीन जानिये इस मामले को, जिसे मैं उस वेटर, जिसने मामले में शामिल दोनों लोगों की बातचीत को दरवाजे में मौजूद की-होल से सुना था, और कुछ चालीस के करीब विश्वासपात्र लोगों जिन्होंने इन्हीं तथ्यों की पुष्टि की थी, की गवाही के बिनाह पर लिख तो रहा हूँ लेकिन मुझे फिर भी लिखते हुए घबराहट हो रही है। यह सब दर्ज करते हुए मैं सोच रहा हूँ कि अगर मैंने उस खूबसूरत स्त्री को अपनी छाती में मौजूद उस गहरे घाव में ऊँगली डुबो कर अपने कातिल की भौं को अपने खून से रंगते हुए देखा होता तो उस वक्त मेरा न जाने क्या हाल हुआ होता?
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यह 3 फरवरी की दोपहर के लगभग तीन बजे की बात है जब प्रोफेसर डेवनपोर्ट और मिस ईडा सुशोट न्यू यॉर्क के एक होटल के दूसरे माले में मौजूद एक कमरे में अपना खाना खा रहे थे। मिस ईडा एक कमजोर और नाजुक सी दिखने वाली लड़की थी और कई वर्षों से उसने खुद को प्रोफेसर डेवनपोर्ट के परीक्षणों के लिए प्रस्तुत किया हुआ था। प्रोफेसर बेंजामिन डेवनपोर्ट का काफी नाम था लेकिन यह कहा जाता था कि उसने प्रसिद्धि कुछ शंकास्पद तरीकों से हासिल की थी। विश्व के बड़े बड़े अध्यात्मवादी उसके ऊपर उस तरह से विश्वास नहीं करते थे जैसा विश्वास वो विलियम क्रुक्स या डेनियल डगलस होम के ऊपर दिखाते थे।
अमेरिका में अध्यात्मवाद के एक लेखक का विचार था कि, “लालची और विवेकहीन माध्यमो के वजह से ही आध्यात्मवाद के ऊपर सबसे कड़े हमले हुए हैं। जब आत्मा उतनी जल्दी नहीं आ पाती है जितना वह चाहते हैं तो ऐसे लोग छल कपट के सहारे खुद को ऐसी दुविधा की स्थिति से निकालना ज्यादा बेहतर समझते हैं।”
प्रोफसर डेवनपोर्ट को भी ऐसी ही धोखेबाज माध्यम के तौर पर देखा जाता था। इसके अलवा उनके विषय में काफी अजीब अजीब तरह की कहानियाँ प्रचलित थीं। यह कहा जाता था कि उन्होंने साउथ अमेरिका में एक बटमारी को अंजाम दिया था। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को के जुआघरों में ताश के पत्तों के खेल में जालसाजी करी थी। यह भी कहा जाता था कि वह बेहद गुस्सैल प्रवृत्ति के थे और उन्होंने कई ऐसे लोगों के ऊपर भी गोली चला दी थी जिन्होंने उनका अपमान भी नहीं किया था। यह भी कहा जाता था कि उनकी पत्नी उनके द्वारा किये जा रहे शोषण और बेवफाई से उपजे दुःख के कारण ही मौत का ग्रास बनी थी। लेकिन बदनाम करने वाली इन अफवाहों के बावजूद मिस्टर डेवनपोर्ट का प्रभाव कई भोले भाले लोगों पर बहुत अधिक था। डेवनपोर्ट ने अपनी कलाकारी से उन लोगों को यह यकीन दिला दिया था कि उनकी ही विस्मयकारी शक्तियों के बदौलत उन लोगों ने अपने मृत रिश्तेदारों की आत्माओं से सम्पर्क स्थापित कर लिया था। और ऐसे लोगों का मत बदलना नामुमकिन था। उनकी इस पेशेवर सफलता के पीछे उनके साँवले मेफिस्टो (एक दानव) जैसे चेहरे, गहरी, आग बरसाती आँखों, बड़ी घुमावदार नाक, होंठों पर मौजूद कुटिल भाव और किसी पैगम्बर की भाँति बुलंद आवाज का भी हाथ था जो कि उन्हें एक विशेष ओज प्रदान करता था।
वह वेटर उनके कमरे से निकल कर ज्यादा दूर नहीं गया रहा होगा जब कमरे में निम्न बातचीत हो रही थी:
“मिसेज हार्डिंग के घर में आज शाम को आज आत्मा को बुलाने का कार्यक्रम होगा”, कमरे में मौजूद माध्यम ने कहा। “उधर काफी प्रभावशाली व्यक्ति मौजूद होंगे और हो सकता है दो और तीन करोड़पति भी उधर रहेंगे। तुम अपनी स्कर्ट के अंदर वह सुनहरे बालों की विग और सफेद पोशाक छुपा लेना जिसे पहनकर आत्मायें दर्शन देती हैं।”
“ठीक है,” इडा सुशोट ने कुछ इस तरह कहा जैसे उसने डेवनपोर्ट के आगे हथियार डाल दिए हों।
वेटर ने फिर ईडा को कमरे में चहलकदमी करते हुए सुना। थोड़े अंतराल के बाद ईडा ने डेवनपोर्ट से प्रश्न किया:
“बेंजामिन आज आप किसकी आत्मा को बुलाने वाले हैं?”
वेटर ने एक तेज, क्रूर हँसी सुनी और फिर उसे प्रोफेसर के वजन के नीचे कराहती कुर्सी की आवाज़ सुनाई दी।
“बूझो?”
“मुझे कैसे पता होगा?”, लड़की ने सवाल किया।
“मैं आज अपनी मृत पत्नी की आत्मा को बुलाने जा रहा हूँ।” इसके साथ ही कमरे से एक शैतानी हँसी गूँजी। ईडा के मुख से एक डरी हुई चीख निकली और उसके पश्चात कमरे से आती घुटी-घुटी आवाज से वेटर ने यह अंदाजा लगाया कि ईडा ने खुद को प्रोफेसर के क़दमों पर डाल दिया था।
“बेंजामिन! बेंजामिन! ऐसा न करना”, वह रोते हुए बोली।
“क्यों नहीं? वो कहते हैं कि मैंने मिसेज डेवनपोर्ट का दिल तोड़ा था। यह कहानी अभी मेरी साख पर बट्टा बिठा रही है लेकिन अगर इतने गवाहों के बीच में मिसेज डेवनपोर्ट की आत्मा मुझसे प्यार भरे लहजे से बात करती है तो सभी लोग इस कहानी को भूल जायेंगे। और यह मुमकिन होगा क्योंकि तुम तो मुझ से प्यार से बात करोगी न, बोलो न ईडा?”
“नहीं, नहीं। तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे। तुम ऐसा सोचेगे भी नहीं। भगवान् के लिए मेरी बात सुनो। इन चार सालों में मैं जबसे तुम्हारे साथ हूँ मैंने तुम्हारी हर बात मानी है और हर चीज को चुप-चाप सहा है। मैंने तुम्हारी तरह लोगों से झूठ बोला है, उन्हें धोखा दिया था। दिव्यदृष्टाओं की तरह उनके सोने के तरीके और अन्य लक्षणों की नकल करना सीखा है। मुझे बताओ, मैंने क्या कभी तुम्हारी बात मानने से इनकार किया है, कभी कोई शिकायत की है? मैंने तब भी कुछ नहीं कहा जबकि मेरे मन में मेरी अंतर-आत्मा का बोझ था। मैंने तब भी कोई शिकायत नहीं की जब तुमने मेरी बाँहों को बुनाई में इस्तेमाल होने वाली सीखों से बींधा था। सबसे बुरी बात तो यह है कि मैंने आत्माओं की नकल की है और कई माँओं और पत्नियों को यह झूठा यकीन दिलाया है कि उनके बेटों, उनकी पतियों की आत्माओं ने आकर उनसे बातचीत की है। क्या तुम नहीं जानते कि जब पार्लर में रोशनी धीमी कर दी जाती है तो उस वक्त मैंने न जाने कितनी बार खतरनाक कार्यों को अंजाम दिया है? कफन या सफेद मलमल के परिधान में लिपटकर मैंने ऐसे परालौकिक शक्तियों का किरदार अदा किया है जिन्हें कई जोड़ी पनीली आँखों ने अपने गुजरे हुए रिश्तेदारों के तौर पर देखा है। तुम्हे नहीं पता इस पाप का भागीदार बनने पर मुझे कितना दुःख हुआ है। तुम इन चीजों का उपहास उड़ाते हो लेकिन मुझे अपने पापकर्मों के फल के विषय में सोच सोच कर परेशानी होती है। भगवान न करे! किसी दिन वो आत्मायें, जिनके होने का मैं अभिनय करती हूँ, कभी मेरे सम्मुख अपनी बाँहें फैलाकर खड़ी हो जाएँ और मुझे लानत देने लगे तो मेरा न जाने क्या हो। यह डर मुझे हमेशा सताता है और किसी दिन यह डर ही मुझे मार देगा। मुझे इस कारण बुखार भी रहा करता है। देखो न मैं कितनी कमजोर, कितनी थकी हुई, कितनी खिन्न हो चुकी हूँ। पर अब भी मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी। तुम जो चाहो मेरे साथ कर सकते हो। मैं तुम्हारे आधीन हूँ और मैं तुम्हारे आधीन रहना चाहती हूँ। क्या मैंने कभी कोई शिकायत की है? नहीं न? बस मुझे यह काम करने को मत कहो, बेनजामिन। मेरे ऊपर दया करो। जरा इस बात का लिहाज करो कि मैंने तुम्हारे लिए क्या क्या किया है? कम से कम इस बात का लिहाज करो कि मैं किन परेशानियों को भोग रही हूँ। यह स्वांग न रचाओ। मुझे अपनी मरी हुई बीवी, जो जब जिंदा थी इतनी दयालू, इतनी खूबसूरत थी, का किरदार खेलने के लिए मजबूर न करो। ओह! मेरे भगवान, तुम यह कैसा ख्याल अपने दिमाग में ले आये हो? मैं तुमसे विनती करती हूँ कि मुझे कृपया करके बख्श दो।”
प्रोफेसर दोबारा नहीं हँसा। इसके बाद कमरे से चीजों की गिरने पड़ने की आवाज़ आती रही। इसी आवाज के बीच में वेटर ने किसी खोपड़ी के कमरे के फर्श में टकराने की आवाज भी सुनी। इस आवाज से उसने अंदाजा लगाया कि डेवनपोर्ट ने मिस ईडा को मुट्ठी से प्रहार कर नीचे गिरा दिया था या जब मिस ईडा उसके तरफ बढ़ रही थीं तो उसने उन्हें लात मारी थी। इस सबके बावजूद चूँकि किसी ने उसे कमरे में नहीं बुलाया तो वह वेटर कमरे में नहीं गया।
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उस शाम चालीस लोग मिसेज जोआन हार्डिंग के पार्लर में इकट्ठा हुए थे। उन सभी की नजरें उस परदे की तरफ उठी हुई थी जहाँ से आत्मा बस आने ही वाली थी। कमरे के कोने में मौजूद एक लालटेन से इतनी कम रोशनी निकल रही थी कि वह कमरे को रोशन करने के बजाय उसमें मौजूद अँधेरे को उभारती हुई सी लग रही थी। कमरे में मौजूद लोगों की उठती गिरती तेज साँसों के अलावा पूरा कमरा एकदम शांत था। भट्टी में मौजूद आग कमरे में मौजूद चीजों को कुछ इस तरह से रोशन कर रही थी कि वो सभी किन्हीं ऐसी भटकती आत्माओं से प्रतीत हो रहे थे जिन्हें इस मद्धम-अँधियारे में पहचानना नामुमकिन था।
प्रोफेसर डेवनपपोर्ट अपने पूरे जलाल पर था। आत्माओं के संसार में मौजूद आत्मायें उसकी हर बात को बिना किसी झिझक के ऐसे मान रही थीं जैसे वह उस संसार का मालिक हो। वह इन आत्माओं का बेताज बादशाह था और ये आत्मायें उसकी प्रजा। फूलदानों में से कुछ अदृश्य हाथ फूलों को उठाते हुए दिखाई दिए थे, एक अदृश्य आत्मा ने कमरे में रखे पियानो से दिल को छू देने वाला मधुर संगीत बजाया था, कमरे में मौजूद फर्नीचर के ऊपर हुई ठकठकाहट से कई तरह के अनपेक्षित प्रश्नों का उत्तर दिया गया था। यही नहीं प्रोफेसर ने खुद को सशरीर फर्श से ऊपर लगभग उस जगह तक उठा लिया था जहाँ पर मिसेज हार्डिंग ने इशारा किया था और वो हवा में उसी तरह पौने घंटे के करीब दो जलते हुए कोयले के टुकड़ों को अपनी हथेलियों पर रखे लटके रहा था।
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लेकिन प्रोफेसर की ताकत का सबसे पुख्ता सबूत जो होने वाला था वह था मिसेज आर्बेला डेवनपोर्ट की आत्मा का आगमन। प्रोफेसर ने इस सेशन की शुरुआत में ही इस बात का वादा वहाँ उपस्थित लोगों से कर दिया था।
“आखिरकार वह समय आ चुका है”, माध्यम ने तेज आवाज में कहा।
अब जबकि सभा में मौजूद लोगों के दिल रोमांच से धड़कने लगे थे, उनकी आँखें आत्मा के साक्षात प्रकट होने की उम्मीद में फैलने लगी थीं तब बेंजामिन डेवनपोर्ट पर्दे के सामने खड़ा हो गया। इस धुंधलके में वह लम्बा आदमी अपने बिखरे बाल और शैतान जैसे चेहरे मोहरे के कारण एक साथ बेहद खूबसूरत और बेहद डरावना प्रतीत हो रहा था।
‘आर्बेला आ जाओ’, अपनी प्रभावशाली आवाज़ में उसने आत्मा को कुछ इस तरह पुकारा जैसे कभी शायद नाज़रीन(जीजस) ने लज़ारस को उसकी कब्र के सामने जाकर पुकारा होगा।
सभी इंतजार करने लगे।
अचानक परदे के पीछे से एक चीख आई -एक दिल को भेदने वाली, कँपा देने वाली भयानक चीख। ऐसी चीख जैसे कोई मर रहा हो।
दर्शकों के शरीरों ने कंपकपी ली। मिसेज हार्डिंग तकरीबन बेहोश ही हो गयी थी। डेवनपोर्ट के चेहरे पर भी आश्चर्य के भाव थे।
लेकिन फिर परदे को हिलते देख उसने अपने चेहरे पर उभर आये भावों पर काबू पाया और उसने आत्मा को अंदर प्रवेश करवाया।
वह एक ऐसी जवान औरत का साया था जिसके लम्बे सुनहरे बाल थे। वह खूबसूरत थी लेकिन कमजोर दिखाई देती थी। उसने सफेद रंग का एक झीना सा लबादा पहना हुआ था। उसकी छाती नग्न थी और छाती पर एक घाव मौजूद था जिसमें एक चाकू धंसा हुआ था और उससे खून रिस रहा था।
उस साए तो अपनी तरफ बढ़ते देख दर्शक हैरानी से अपनी अपनी जगहों से खड़े हुए और तब तक पीछे सरकते रहे जब तक कि उनकी कुर्सियाँ पीछे की दीवार को न छूने लगी। जिस किसी की भी नजर माध्यम पर पढ़ी उसे यह दिखाई दिया कि उसके चेहरे पर एक मुर्दानी सी छा गयी थी और वह अब अपनी जगह पर डर के कारण झुके हुए काँप रहा था।
लेकिन वह जवान औरत लगातार बेंजामिन की तरफ बढ़ती जा रही थी। वह और कोई नहीं असल मिसेज अराबेला का भूत थी जिसे बेंजामिन ने देखते ही पहचान लिया था और जो अब उसके बुलावे पर साक्षात आ गयी थी। वहीं इस बात से भयभीत बेंजामिन ने इस भयानक दृश्य को देखने से बचने के लिए अपनी आँखों को ढक दिया और फिर वह एक चीख मार कर वहाँ मौजूद फर्नीचर के पीछे जा दुबका। लेकिन इससे भी वह साया रुका नहीं। वह आगे बढ़ता रहा और उसने अपने दुबले हाथों की ऊँगली को अपने सीने के घाव में डुबोया और फिर अपनी ऊँगली पर लगे खून से अब तक बेहोश हो चुके माध्यम की भौं को रंग दिया। यह कार्य करते हुए वह धीरे धीरे एक लय में बस एक ही बात दौहरा रही थी। उसकी धीमी आवाज कुछ ऐसी थी जैसे किसी का रोना कमरे में गूँज रहा हो:
“तुम ही मेरे खूनी हो! तुम ही मेरे खूनी हो!”
और जब उन लोगों ने कमरे की रोशनी को दोबारा बहाल किया तो डेवनपोर्ट उस वक्त भी डर के मारे फर्श पर इधर उधर उलट पलट ही रहा था।
आत्मा तब तक गायब हो चुकी थी लेकिन पर्दे के पीछे मौजूद उस कमरे में, जहाँ से आत्मा के साथ सम्पर्क स्थापित किया गया था, लोगों को मिस ईडा सुशोट की लाश बरामद हुई। उनके चेहरे पर आतंक के भाव थे। उधर एक चिकित्सक मौजूद था जिसके अनुसार उन्हें दिल का दौरा पड़ा था।
और इसीलिए प्रोफेसर बेंजामिन डेवनपोर्ट चार साल पहले सैन फ्रंसिको में हुई अपनी बीवी की हत्या के अभियोग में अपने बचाव के लिए न्यूयॉर्क की एक अदालत में अकेले ही प्रस्तुत हुआ था।
समाप्त
तो यह था Fredrick P Schrader की कहानी Mrs Davenport’s Ghost का मेरे द्वारा किया गया हिन्दी अनुवाद। अनुवाद के विषय में आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी।
© विकास नैनवाल ‘अंजान’
विकास जी, आत्मा सही में आती है इस बात पर यकीन नही होता।
बहुत खूब।
लेकिन पाठक होने के नाते मैं सभी बातों से सहमत नहीं हूँ।
जी, ये तो केवल एक कहानी है….
जी ये कहानी तो 25 घोस्ट स्टोरीज में छपी थी जिसका मूल उद्देश्य मात्र मनोरंजन था…हाँ, कहानी के माध्यम से उस दौर में चल रहे अध्यात्मवाद और उसके अंतगर्त किये जा रहे धोखों पर यह कहानी टिप्पणी करती है….बाकी ऐसी कहानियाँ मनोरंजन के लिए होती हैं क्योंकि रोमांच पैदा करती हैं …चूँकि मुझे खुद ये पसन्द आती हैं तो इनका अनुवाद अपने ब्लॉग पर कर देता हूँ…
इसका मूल उद्देश्य मात्र मनोरंजन करना है…..इसे उसी तरह देखा जाना चाईए…
ओह!!!
भयानक कल्पना पर आधारित… एकदम हॉरर मूवी सा…
सुन्दर अनुवाद।
जी… कहानी पढ़ते हुए मुझे भी भायी थी इस कारण अनुवाद करने की ठानी… आपको पसंद आई यह जानकर अच्छा लगा….
बेहतरीन अनुवाद। पात्रों को भारतीय नाम दे दिए जाएँ तो कोई न कहेगा कि, विदेशी कथा है। मौलिक लेखक और अनुवादक दोनों ही बधाई के पात्र हैं।
बहुत ही सराहनीय कार्य किया,इसी संग्रह मे मौजूद 'द ब्लैक कैट' का भी हिन्दी अनुवाद दीजिए कृपया।
जी कोशिश रहेगी….
जी आभार…