हो मुझसे अलग, यह तुम्हारा एक वहम है

 

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हो मुझसे अलग, यह तुम्हारा एक वहम है,
करोगे गौर तो पाओगे, फर्क बहुत कम है

रंग,भाषा,देश,भेष हो भले ही जुदा-जुदा
है खुशी एक सी, एक सा अपना गम है

हैं जख्म कुछ तेरे, कुछ जख्म हैं मेरे भी
प्यार-मोहब्बत ही इन जख्मों का मरहम है

हो बानी1 इस दुनिया के, तुम ही ‘अंजान’
चाहो तो जन्नत यहीं,गर चाहो तो जहन्नम है

विकास नैनवाल ‘अंजान’

1.बानी : बनाने वाला,

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© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “हो मुझसे अलग, यह तुम्हारा एक वहम है”

  1. आपकी इस रचना पर देर से आया मगर दुरूस्त आया विकास जी । पता नहीं था आपकी इस प्रतिभा का । बहुत अच्छी, बहुत सराहनीय प्रस्तुति । ग़ुलाम-ए-मुस्तफ़ा फ़िल्म का एक बहुत अच्छा गाना याद आ गया इसे पढ़कर – तेरा ग़म मेरा ग़म, इक जैसा सनम; हम दोनों की एक कहानी ।

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