चुपके से एक बूँद बरसी – सुजाता देवराड़ी

सुजाता देवराड़ी
सुजाता देवराड़ी
सुजता देवराड़ी लेखिका और गायिका हैं। उन्होंने हिन्दी और गढ़वाली गीत लिखे हैं। वहीं हिन्दी, गढ़वाली और जौनसारी भाषाओं में गाया है। उनका अपना ब्लॉग भी है जिसमें वह लिखती रहती हैं। उनका एक यू ट्यूब चैनल भी है जहाँ वह गीत प्रोड्यूस भी करती हैं।

सुजाता का विस्तृत परिचय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:
सुजाता के ब्लॉग का लिंक:
सुजाता के यूट्यूब चैनल का लिंक:
दुई बात के लिए सुजाता देवराड़ी ने अपनी एक कविता भेजी है। उम्मीद है आपको यह कविता पसंद आएगी।
चुपके से एक बूँद बरसी - सुजाता देवराड़ी
Image by Валентин Симеонов from Pixabay
 चुपके से एक बूँद बरसी
चींटी हूँ मैं, वो नदी सी। 
माटी के मेरे घर में आई 
सुराही की वो धार जैसी।
रूह मेरी थी डर गई 
घर मेरा कहीं बह ना जाए 
थम के बोली धार मुझसे 
लो जम गई मैं बर्फ जैसी। 
जानती हूँ घर तुम्हारा 
अद्भुत जतन है ये तुम्हारा
ना डरो मुझसे ए चींटी 
ज़िंदगी मेरी तेरी जैसी।   
चुपके से एक बूँद बरसी
तब बूँद से चींटी अपनी
दास्ताँ कहने लगी 
 दाना जुटाने घर से निकली 
बिल्कुल अकेली ना सहेली 
जब भीड़ के दलदल को देखा 
लगने लगी जैसे पहेली 
भागने लगी वहाँ से
तब ध्यान आया घर है भूखा 
सेकड़ों पैरों के नीचे 
दबती गई मैं धूल जैसी। 
चुपके से एक बूँद बरसी

कहने लगी वो बूँद मुझसे 
ये जलन कुछ कम हुई 
इस तपन का दर्द सहकर 
तुम मुझे निर्भय लगी 
जानती हूँ छोटी सी हो 
पर हिम्मत दिखाई है कड़ी 
शूर जैसे गज के पैरों से, वरना 
निकलती ही नहीं 
चलते चलते थक के बैठी 
पानी को तेरे कंठ तरसे 
बूँद बनकर फिर मैं बरसी 
प्यास को तेरी तृप्त करी । 
चुपके से एक बूँद बरसी

ज़िंदगी के युद्ध  
लड़ते लड़ते वो घायल हुई
बनके झाँसी रानी अपनी 
सेना की रक्षक बनी
रक्त बनके बह रहा 
संघर्ष उसके कर्मों का  
धरती माँ के माथे को 
उसने रंग दिया सिंदूर सा 
इस धरा की गोद में 
वो गिर पड़ी इक तिनके सी 
गहरे दर्द में थी आँखें उसकी 
आँसू बनकर फिर मैं बरसी 
हँस के बोली चींटी मुझसे 
पीड़ा तुमने मेरी हल्की करी 
धुल गया ये तन मेरा 
आँखों की धुँधली भी कम हुई
चुपके से बरसी थी उस दिन
परछाई मेरी अब बन गई।
– सुजता देवराड़ी
सुजाता का नया राम भजन ‘भजूँ मैं राम राम’ हाल फ़िलहाल में उनके यूट्यूब चैनल में रिलीज़ हुआ है। आप उस भजन को यहीं पर सुन सकते हैं:

निम्न लिंक पर जाकर उनके चैनल को सब्सक्राईब भी कर सकते हैं:
© विकास नैनवाल ‘अंजान’ © सुजाता देवराड़ी

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “चुपके से एक बूँद बरसी – सुजाता देवराड़ी”

  1. बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुजाता देवराड़ी जी का भजन और सृजन लाजवाब हैं । उनके उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं ।

  2. आपकी रचना पढ कर बेहद अच्छा लगा । यूं ही लिखती रहेंं भजन भी बहुत भावपूर्ण है।

  3. बहुत ही सुन्दर कविता एवं लाजवाब भजन गायन…सुमधुर आवाज…प्रतिभासंपन्न सुजाता देवराड़ी जी की रचनाओं से अवगत करवाने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद नैनवाल जी!

  4. इतने सुंदर शब्दों से मेरी रचना पर अपने विचार प्रकट करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

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