अजनबी या दोस्त

अजनबी या दोस्त
Image by analogicus from Pixabay 

ज़िन्दगी
रेत सी फिसलती चली गयी

अजनबी
दोस्त होते गए

दोस्त
अजनबी होते गए

कभी 
दोस्त अजनबी से लगे

कभी 
अजनबी दोस्त से लगे

और मैं
करता रहा असफल कोशिश

पहचानने की
कौन है दोस्त और कौन अजनबी

जो थे साथ 
उन्हें चले जाने दिया 

उनके लिए 
जो नहीं रहना चाहते थे साथ

और
रह गया निपट अकेला 

जैसे 
रह जाता है शरीर 

आत्मा
                                                                 के निकल जाने के बाद                                                               

© विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “अजनबी या दोस्त”

  1. कभी दोस्त अजनबी तो कभी अजनबी दोस्त..यही जीवन है और इसका सफर अनवरत इसी तरह चलता है अपनी धुरी पर । हृदयस्पर्शी सृजन।

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