प्रेम? | हिन्दी कविता

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प्रेम
कभी किया था
तुमने मुझसे?
या मैंने ही तुमसे ?
या फिर था
 प्रेम
 तुम्हें मेरे होने के ख्याल से
और मुझे तुम्हारे होने के ख्याल से
ख्याल
जो असल में थे खाँचे
बनाये थे,
जो हमने एक दूसरे के लिए
अपने अपने दिलो में
और अब
बैठाते रहते हैं एक दूसरे को
उन खाँचों में हम
फिर
जब पाते हैं अलग
एक दूसरे को उन  खाँचे से
तो कहते हैं
बहुत बदल गये हो तुम
वो था कोई
जिसे किया था प्रेम
कभी हमने
और
अब खो गया है वो
लेकिन सच
बताओ?
क्या सचमुच खो गये हैं हम ?
क्या सचमुच बदल गये हैं हम?
या फिर
अब ही जान पाएँ  हैं
असल में
एक दूसरे को
-विकास नैनवाल ‘अंजान’

©विकास नैनवाल ‘अंजान’

About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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0 Comments on “प्रेम? | हिन्दी कविता”

  1. जब हम प्रेम में होते है तो किसी को जानना ही नहीं चाहते पर जब प्रेम को निभाना होता है तो कमियाँ नजर आने लगती है।

    बेहतरीन अभिव्यक्ति,सादर नमन आपको

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