अबायोजेनिसिस (Abiogenesis)
पिछली पोस्ट में हमने बात की थी कि धरती पर जीवन कैसे आया इसके पीछे एक थ्योरी ये है कि पहला सूक्ष्म जीव कई अणुओं के आपस में घुलने मिलने से बने। यह घुलना मिलना काफी लाखों साल तक चला जिसके बाद यह हो सका। इस थ्योरी को अबायोजेनिसिस (Abiogenesis) कहा जाता है। यानि कि निर्जीव वस्तुओं से सजीव वस्तुओं का उत्पन्न होना।
सुनने में यह बात अजीब लगती है लेकिन कई सालों पहले तक ये माना भी जाता रहा था कि कुछ जीव जीवित चीजों से बनते हैं और कुछ जीव निर्जीव चीजों से बनाए जाते हैं। ऐसा कहने वाले सबसे पहले वैज्ञानिक अरस्तु थे जिन्होंने अपनी किताब हिस्ट्री ऑफ एनिमल्स (History of Animals) में लिखा था कि कुछ जानवर अपने अभिभावकों से जन्म लेते हैं और कुछ अपने आप जन्म ले लेते हैं। वहीं सन 1500 से 1600 के बीच जन्में केमिस्ट, फिजियोलोजिस्ट और चिकित्सक जान बेपटिस्ट वान हेलमॉन्ट (Jean Baptiste Van Helmont 1580–1644) ने चूहे बनाने की एक रेसेपी तक दे दी थी। उनके अनुसार अगर एक खराब कमीज को अगर किसी ऐसे मर्तबान में डाला जाए जिसके अंदर कुछ गेंहू के दाने हों तो 21 दिन बाद कमीज के खबीर और गेंहू से निकलने वाली भाप चूहों का निर्माण कर देते हैं। यही नहीं इन साहब ने बिच्छू बनाने की विधि भी बताई थी जिसके अनुसार एक ईंट को लेकर उसमें एक गड्डा बनाइये और उसके अंदर तुलसी भरिए और उसके ऊपर एक और ईंट रखकर उसे धूप में रख दीजिए। इसके बाद कुछ ही दिनों में तुलसी से निकलने वाली भाप तुलसी को बिच्छू में बदल देगी। इस थ्योरी को स्पोनटेनियस जेनेरेशन कहा जाता था। खैर ऐसी थ्योरी 17 वी शताब्दी तक गलत साबित हो गई थी और 19 वीं शताब्दी तक आते आते इसे पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया गया था।
स्पोनटेनियस जनरेशन को तो अस्वीकार कर दिया लेकिन अबायोजेनिसिस को लेकर कई तरह के प्रयोग किए जा चुके हैं जिनसे कुछ कुछ चीजें साबित हो चुकी हैं। शुरुआत 1920 में आई ओपारिन-हालडेन (अंग्रेज वैज्ञानिक जे बीएस हालडेन और अलेक्सानद्र ओपेरिन के के नाम) थ्योरी से हुई। दोनों ही मानते थे कि बाहरी ऊर्जा स्रोतों अगर हो तो निर्जीव अणुओं से जैविक अणु बन सकते थे। वह ये भी मानते थे कि शुरुआती जीवन समुद्र में उत्पन्न हुआ था जहाँ वो केवल धरती में मौजूद यौगिक पदार्थों (compounds) से पौषण लेते थे न कि सूर्य की रोशनी से या अजैविक चीजों से। इसके बाद 1953 में मिलर-यूरे (हारोल्ड सी यूरे और स्टेनली मिरर के नाम पर) प्रयोग हुआ और इसने ओपेरिन हालडेन थ्योरी को सफलतापूर्वक टेस्ट किया। उन्होंने अपने प्रयोग द्वारा कुछ ऐसे अजैविक अणुओं, जो कि शुरुआती धरती पर रहे होंगे, सफलतापूर्वक कुछ जैविक अणु बनाए।
आधुनिक अबायोजेनिसिस थ्योरी इन्हीं ओपारिन-हालडन थ्योरी और मिलर यूरे प्रयोग पर ही आधारित है लेकिन एक जैविक अणु से एक जीव कैसे बना इसे लेकर कई तरह की चीजें प्रचलित हैं। खैर, उस दिशा में जाना चीजों को लंबा खींच देगा तो उसे हम वैज्ञानिकों के लिए ही छोड़ देते हैं।
अगली बार इन अणुओं से एककोशकीय जीव (single cellular organism) और बहुकोशकीय जीव (multicellular organism) कैसे आए इसकी संक्षिप्त जानकारी लेंगे। तब तक के लिए इजाजत दीजिए।
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सारगर्भित आलेख…।…. 👍👍👍👍👍👍👍……
आभार…
विज्ञान की विद्यार्थी रहीं हूँ. हिंदी में यह सब पढ़ कर अलग ही तरह का रोमांच है.
जी आभार मैम…
बेहतरीन श्रृंखला । बहुत अच्छा लगा इस श्रृंखला का पाठक बन कर ।
जी आभार मैम। आगे भी ऐसी और शृंखलाएँ लाने की कोशिश रहेगी।