पिछली पोस्ट में हमने फॉसिल यानी जीवाश्म की बात की है। इन जीवाश्मों के माध्यम से हमने ऐसे कई जानवरों के विषय में पता लगाया है जिनका अस्तित्व कभी हुआ करता था। इन जीवों में बहुत छोटे जीव भी मौजूद थे और ऐसे जीव भी मौजूद थे जो कि बहुत विशालकाय थे। इतने विशालकाय की अगर वह जीव आज जीवित होते तो यकीन जानिए मनुष्यों के खौफ का पर्याय बन चुके होते।
आज इस पोस्ट के माध्यम से इन्हीं में से कुछ जीवों के विषय में जानते हैं:
अर्जेन्टीनोंसौरस (Argentinosaurus)
अर्जेन्टीनोंसौरस, स्रोत: विकिपीडिया |
अर्जेंटीनोसौरस सबसे बड़े थलजीवों में से एक माना जाता है। लेकिन चूँकि इसके सभी हिस्से नहीं मिले हैं इसलिए इसके आकार का अंदाज सटीकता से लगाना मुश्किल है। यह जीव 9.6 से 9.2 करोड़ साल के बीच में धरती पर मौजूद था। ऐसा माना जाता है कि यह 100 से 130 फीट तक लंबा और 50 हजार किलो से लेकर 1 लाख किलो तक वजनी हुआ करता था। यह एक शाकाहारी जीव था जो कि आज के अर्जेंटीना में पाया जाता था।
पैटागोटिटान (Patagotitan)
पैटागोटाईटन स्रोत: विकिपीडिया |
पैटागोटिटान (Patagotitan) भी शाकाहारी जीव थे जो कि आकार में धरती में विचरने वाले सबसे बड़े जीवों में से एक थे। यह 10 करोड़ से 9 करोड़ साल पहले तक धरती पर विचरते थे। आकार की बात की जाए तो यह जीव 131 फीट तक लंबे और 55 हजार किलो वजनी हुआ करते थे। यह आज के अर्जनटीना में पाए जाते थे।
ड्रेडनॉटस (Dreadnougts)
ड्रेडनॉटस,स्रोत: ब्रिटेनिका |
ड्रेडनॉटस (Dreadnougts) 6.6 से 8.8 करोड़ साल पहले इस धरती पर विचरण करते थे। यह शाकाहारी जीव थे जो कि बीस फीट ऊंचे और 85 फीट लंबे थे। यह धरती में विचरने वाले सबसे बड़े जीवों में से एक थे। इनका वजन 49000 किलो तक होता था।
स्पाइनोसोरस (Spinosaurus)
स्पाइनोसौरस स्रोत: जुरासिक वर्ल्ड |
स्पाइनोसोरस (Spinosaurus) धरती में विचरने वाले सबसे विशालकाय मांसभक्षी जीव थे। यह प्रजाति 9.9 करोड़ साल से 9.3 करोड़ साल के बीच धरती पर रहा करती थी। यह जीव 49 से 52 फीट लंबे होते थे और 6 हजार किलो से 7.5 हजार किलो वजनी होते थे। यह जीव मछली और समुद्र और धरती पर रहने वाले अन्य जीवों का शिकार किया करते थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि आधुनिक मगरमच्छों की तरह यह पानी और जमीन दोनों में आसानी से शिकार करते थे। यह प्रजाति उत्तर अफ्रीका में पाई जाती थी।
विशालकाय थेरोपोड का तुलनात्मक अध्ययन, स्रोत: विकिपीडिया |
क्वेटज़लकोटलस (Quetzalcoatlus)
एक कलाकार की कल्पना में क्वेटज़लकोटलस स्रोत: विकिपीडिया |
क्वेटज़लकोटलस (Quetzalcoatlus) दुनिया के सबसे विशालकाय उड़ने वाले जीवों में से एक थे। कहा जाता है कि इसकी एक प्रजाति क्यू नॉर्थोपी (Q. Northopi) दुनिया का सबसे बड़ा उड़ना वाला जीव था। यह प्रजाति 6 करोड़ साल पहले दुनिया में रहा करती थे। इनकी ऊंचाई 9 फीट तक हुआ करती थी और लंबाई 32 फीट तक हुआ करती थी। वहीं इनक वजन 200-250 किलो तक हुआ करता था। कहा जाता है यह 8 फीट तक ऊंची कूद एक बार में मार सकते थे और 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकते थे। इनका विंगस्पेन (एक पंख के कोने से दूसरे पंख की दूरी) 52 फीट तक हो जाता था।
क्वेटज़लकोटलस की तुलना इंसान से, By Matt Martyniuk (Dinoguy2), Mark Witton and Darren Naish – Own work, CC BY 3.0 |
डायनासौर धरती पर विचरने वाले सबसे बड़े जीवों में से एक हैं। ऐसे में अगर बात की जाए तो कई पोस्ट्स डायनासौर के ऊपर ही लिखनी पड़ जाए। वैसे भी हम विशालकाय जीवों का नाम सुनते हैं तो मन में इन्हीं का ख्याल आता है। ऐसे में मैंने सोचा कि कुछ अलग तरह के विशालकाय जीवों के विषय में आपको बताया जाए। ये जीव डायनासौर नहीं थे लेकिन आकार के मामले में काफी बड़े थे। चलिए जानते हैं इनमें से कुछ जीवों के विषय में:
सारकोसुकस इम्पेरेटर (Sarcosuchus imperator)
सारकोसुकस इम्पेरेटर,By Rhunevild – Own work, CC BY-SA 4.0 |
सारकोसुकस इम्पेरेटर (Sarcosuchus imperator) 11 करोड़ साल पहले उप सहारा अफ्रीका में हुआ करते थे। ये मगरमच्छ के पूर्वज हैं जो कि 12 मीटर तक लंबे हुआ करते थे और दस टन (दस हजार किलो) तक वजनी हो जाते थे। कहा जाता है यह मगरमच्छ उस वक्त के डायनोसौर का शिकार भी आसानी से कर दिया करते थे। यह मगरमच्छ के दूर के रिश्तेदार हैं। इन्हें सुपर क्रॉक भी कहा जाता है।
डाइनोसुकुस (Deinosuchus)
एक कलाकार की डाइनोसुकुस की कल्पना, स्रोत: डायनोपीडिया |
डाइनोसुकुस 8.2 से 7.3 करोड़ साल पाए जाने वाले सबसे विशालकाय जीव थे जो कि आज के घड़ियालों के पूर्वज कहे जाएँगे। डाइनोसुकुस नाम ग्रीक भाषा से आता है जिसका अर्थ भयानक मगरमच्छ होता है। उत्तर अमेरिका में इनके जीवाश्म पाए गए हैं। कहा जाता है इस प्रजाति के सबसे बड़े जीव 12 मीटर तक लंबे और 8.5 हजार किलो तक वजनी हुआ करते थे। यह मुख्यतः समुद्री कछुए, मछलियाँ और धरती पर विचरने वाले दूसरे जीवों को अपना शिकार बनाते थे। यह भी डायनोंसौर पर हमला कर उनका शिकार करने की कुव्वत रखते थे।
मनुष्य की तुलना में सारकोसुकस इम्पेरेटर (नीले रंग) और डाइनोसुकुस (पीले रंग) और अन्य विशाल काय मगरमच्छ,By Smokeybjb – Own work, CC BY-SA 3.0 |
टाइटनोबोआ (Titanoboa)
मनुष्य की तुलना में टाइटनोबोआ, स्रोत: ब्रिटेनिका |
टाइटनोबोआ (Titanoboa) विशालकाय साँपों की प्रजाति थी जो कि आज के कोलम्बिया इलाके में रहा करती थी। यह साँप लंबाई में 12.8 मीटर से 15 मीटर (42 से 50 फीट) के करीब हुआ करते थे और इनका वजन 1300 किलो से ऊपर हुआ करता था। यह 5.8 करोड़ साल से 6 करोड़ साल पहले तक धरती पर रहा करते थे। यह दुनिया के सबसे विशालकाय साँप थे। यह अक्सर झीलों और नदियों के तलों में ही रहा करते थे और वहीं अपने शिकार के लिए घात लगाए रहते थे। यह साँप मगरमच्छों तक को आसानी से निगल जाया करते थे।
एक मगरमच्छ को निगलते टाइटनोबोआ का मॉडल,Ryan Quick from Greenbelt, MD, USA, CC BY 2.0, via Wikimedia Commons |
जोसेफोआर्टिगासिया मोनेसी (Josephoartigasia monesi)
एक कलाकार की कल्पना में जोसेफोआर्टिगासिया मोनेसी स्रोत:रेडिट |
जब भी कृतंक यानी रोडेन्ट के विषय में सोचते हैं तो हमारे जहन में छोटे छोटे जीव जैसे चूहे, छुछुंदर, गिलहरी इत्यादि का ही ख्याल मन में आता है। लेकिन क्या हो अगर मैं कहूँ कि धरती पर कभी ऐसे कृतंक भी रहा करते थे जो कि विशालकाय थे। इन्हीं में से एक था जोसेफोआर्टिगासिया मोनेसी (Josephoartigasia monesi) जो कि चालीस से बीस लाख साल पहले तक धरती पर विचरण करते थे। यह जीव 5 फीट ऊंचे और दस फीट लंबे हुआ करते थे। इनके 1 फीट तक लंबे कृतंक दाँत हुआ करते थे जो लड़ने के (मादाओ के लिये आपस में और शिकारियों से) काम आते थे। इनके वजन की बात की जाए तो 468 किलो से 2500 किलो तक इनका वजन हुआ करता था। सोचिए ये आपके पीछे पड़े तो आप क्या करेंगे?
एक छः फुटे आदमी की तुलना में जोसेफोआर्टिगासिया मोनेसी स्रोत: प्री हिस्टोरिक वाइल्ड लाइफ |
वैसे विशालकाय जीवों की सूची निकाली तो जाए तो अभी और भी जीव हैं जो कि इस सूची में जोड़े जा सकते हैं। उन जीवों के विषय में आगे कभी लिखेंगे।
बहरहाल आप ये बताइए कि अगर इनमें से दो जीवों को वापिस धरती पर लाने की ताकत आपको दी जाए तो आप किन जीवों को वापिस लाना चाहेंगे?
ब्लॉगचैटर A to Z के लिए लिखी हुई सभी पोस्ट्स निम्न लिंक पर जाकर पढ़ी जा सकती हैं:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-4-22) को "शुभ सुमंगल वितान दे…" (चर्चा अंक-4396) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
जी चर्चा अंक में मेरी पोस्ट को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार…
अद्भुत जानकारी….. विकास जी……… 👍👍👍👍👍👍…. हालांकि आप का कहना गलत है कि हम क्या करते…. आज भी मनुष्य से बड़े और विशाल जानवर हैं पर वो हमारा कुछ कर सकते हैं क्या……. 😂😂😂😂😂😂… असल चीज तो दिमाग़ है…….. 😊😊😊😊😊😊😊
मनुष्य आज भी जंसख्या के वजह से बचा है… जहाँ गाँव है वहाँ गुलदार ही उत्पात मचाए रहते हैं… ऐसे में यह सवाल बनता है कि ये जानवर अगर होते तो कितना उत्पात मचाते… मनुष्यों में से कुछ बच जाते लेकिन क्या उनमें मैं या आप होते… ??? सोचने वाली बात ये है…
शुक्र है इन जीवों में से किसी की प्रजाति भारत में नहीं पाई गई जीवन जीने का अधिकार सभी का है मगर इनके युग में मानव होता तो उसका जीवन अल्प और कष्टप्रद ही होता ।
जी मैम भारत में भी होते थे। भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वालों के विषय में आखिर में लिखूँगा। हाँ, आज के वक्त में ये जीव होते तो जीवन जरूर कष्टप्रद होता।
प्रतीक्षा रहेगी भारत के भारत के आदिम युग की जीव प्रजाति से संबंधित पोस्ट की ।