धरती को अपनी धुरी पर घूमते हुए 4.5 अरब साल हो चुके हैं। आज की धरती हम देखते हैं तो पाते हैं कि इस पर हम मनुष्यों ने अपना एक छत्र राज्य स्थापित कर लिया है।
आज की धरती को हम देखते हैं तो ये यकीन करना मुश्किल होता है कि 4.5 अरब पुरानी इस धरती पर मनुष्य के पूर्वज केवल सत्तर लाख साल पहले से पचास लाख साल पहले के बीच कभी आये थे। यानि धरती के बनने के बाद के 4.45 अरब सालों के करीब तक धरती में आज के इस राजा का कोई नामोनिशान नहीं था।
पर अब हम देखते हैं तो पाते हैं कि शायद ही कोई जीव इस धरती पर हो जिसे हमने अपने काबू में न किया हो। हाँ, कई बार कुछ जीवों के चलते, जैसे अभी करोना था, ने हम मनुष्यों को झटका लगता रहा है और प्रकृति कितनी ताकतवर है इसका अहसास होता रहता है। लेकिन फिर भी हम अपनी बुद्धि और जीवटता से हर मुसीबत पर विजय पाते हुए आगे बढ़ जाते हैं। एक रोचक बात बताता हूँ, कहते हैं लगभग 12 लाख साल पहले धरती पर मनुष्यों की जनसंख्या 18000 से 26000 तक हो गई थी, डेढ़ लाख वर्ष पहले एक बार स्थिति ऐसी आई थी कि मनुष्यों की जंसख्या केवल 600 के करीब रह गई थी। वहीं कुछ सत्तर हजार वर्ष पहले जनसंख्या 1000 से 10000 वर्ष के बीच रह गई थी। इस जनसंख्या से फिर हम अब दोबारा 8 अरब के करीब पहुँच गए हैं। यही हमारी जीवटता को दर्शाता है।
लेकिन मनुष्यों के इस धरती पर विचरण करने से पहले भी यहाँ जीवन रहा है।
कब हुआ धरती पर जीवन का आरंभ?
कहा जाता है कि धरती पर जीवों की उत्पत्ति 3.7 अरब साल पहले हो गई थी।
यह वह वक्त था जब धरती में ऑक्सीजेन की नहीं थी और मीथेन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। ऐसे वक्त में धरती में सूक्ष्मजीव (माइक्रोस्कोपिक ऑर्गनिज़म्स microscopic organisms ) हुआ करते थे।
हमें यह बात उन साक्ष्यों से पता चली हैं जो कि हमें मिले हैं। साक्ष्य के रूप में हमारे पास कार्बन के ऐसे अणु (मोलेक्यूल) मिले हैं जो कि ऐसे पत्थरों पर पाए गए हैं जिनकी उम्र 3.7 अरब साल पुरानी है।
वहीं साक्ष्य के तौर पर हमें 3.5 अरब साल पहले बने स्ट्रोमेटोलाइट्स भी मिले हैं जो इन्हीं सूक्ष्मजीवो से बनते हैं।
Image by Bernd Hildebrandt from Pixabay, रेड केप औस्ट्रेलिया के स्ट्रोमेटोलाइट्स |
क्या कारण थे कि जीवन की उत्पत्ति हुई?
यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर आज भी वैज्ञानिक खोज रहे हैं। जीवित चीजों के अंदर जो दो मुख्य अणु होते हैं वो आरएनए (राइबोन्यूकलिक ऐसिड ) और डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक ऐसिड) होते है। जहाँ डीएनए जीवों की सभी जेनेटिक जानकारी को किसी मेमोरी कार्ड की तरह स्टोर करके रखता है वहीं आरएनए इस जानकारी को पढ़ने के काम आता है।
एक थ्योरी ये है कि ऐसे कई अणु रहे होंगे जो कि आपस में इस तरह से घुले-मिले होंगे कि उससे आरएनए और डीएनए जैसे अणुओं का निर्माण हुआ होगा और पहला जीव धरती पर आया होगा। इस चीज को लेकर कई प्रयोग भी किए गए हैं जिसमें वैज्ञानिकों को सफलता भी मिली है।
इस थ्योरी और इसको लेकर किए गए प्रयोगों पर हम अगली पोस्ट पर बात करेंगे।
क्रमशः
I’m participating in #BlogchatterA2Z
I would love to read it with translation. But all the best
This is so well written.
रोचक है
धमाकेदार शुरुआत की बधाई……… 😍😍😍😍😍😍😍😍……. क्या ऐसा नहीं हो सकता कि एलियन ने पृथ्वी पर एक प्रयोग किया हो और जीनेटीक हेर-फेर करके अर्ध वानर को मनुष्य रूप में परिवर्तित किया हो……… आपका क्या ख्याल है…….. 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
Very interesting and informative.
Thank you. Would love to get it translated one day.
आभार।
होने के लिए ये भी हो सकता है लेकिन चीजें वही मानी जाएंगी जो साबित हो सके। क्या पता भविष्य में यह बात साबित ही हो जाए।
Thank you…
रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी !
जी आभार…
जीवन के सन्दर्भ में बहुत दिलचस्प लेख.
नव सम्वत्सर शुभ हो !
बहुत सुन्दर , रोचक एवं ज्ञानवर्धक लेख।
मनोरंजक तरीके से विज्ञान को समझाया। अगली पोस्ट का इंतज़ार।
जी आभार मैम… आपको भी शुभकामनाएँ…
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा। आभार।
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा मैम।
बेहतरीन तथ्यों की बहुत सुन्दर जानकारी ।
लेख आपको पसंद आया यह जानकर अच्छा लगा मैम।
Thank you…