मनुष्य से पहले : R से ‬Rapetosaurus

 

पिछली पोस्ट में हमने चीन में अलग-अलग कालखण्ड और अलग अलग जगहों में पाये जाने वाले तीन जीवों के विषय में जाना था। आज इस पोस्ट में हम एक विशालकाय डायनोसौर के विषय में जानेंगे जो कि आज के मैडागास्कर में पाए जाते थे। इन जीवों को रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) कहा जाता था जो कि कुछ इस तरह दिखते रहे होंगे:
 

रैपेटोसॉरस; स्रोत: विकिपीडिया

क्या थे रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus)?

रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) टाइटनोसॉरियन सॉरोपोड ( titanosaurian sauropod) जाति के जीव थे जो कि आज से 7 से 6.6 करोड़ साल पहले तक मैडागास्कर इलाके में पाए जाते थे। इनकी एक ही प्रजाति रैपेटोसॉरस क्रोसे (Rapetosaurus krausei) अब तक पहचानी गई है। इनका नाम रैपेटो मैडागास्कर की संस्कृति से एक जुड़े एक मिथकीय जीव के नाम पर आधारित है जो कि विशालकाय था और जिसके विषय में माना जाता है कि जब वह समुद्र में गिरा तो मैडागास्कर का निर्माण हुआ। वहीं नाम का दूसरा हिस्सा ‘सॉरस’ ग्रीक भाषा का है जिसका अर्थ छिपकली होता है। 
यह जीव आम सॉरोपोड जैसे ही हुआ करते थे। इनकी लंबी गर्दन,  छोटी और पतली पूँछ और हाथी जैसा विशालकाय शरीर हुआ करता था। अगर आकार की बात की जाए तो यह जीव सिर से पूँछ तक 26 फीट (किशोरावस्था में) से लेकर 46 फीट (वयस्क होने पर) तक लंबे हो जाया करते थे। 2020 में  मोलिना पेरेज़ (Molina-Perez) और लारामेंडी (Larramendi) द्वारा जांघ की हड्डी को आधार बनाकर यह हिसाब लगाया गया कि एक वयस्क 54 फीट तक लंबा और 10 हजार किलो तक वजनी हो सकता था। 
रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) की एक खासियत यह भी है कि यही एक लौता ऐसा टाइटनोसॉर है जिसका पूरा जीवाश्म वैज्ञानिकों को मिला है और इस कारण इस जीव के विषय में काफी कुछ वैज्ञानिक सटीकता से बता पाए हैं। 
यह जीव भी अंडे दिया करते थे और ऐसा माना जाता है कि अंडों से निकलते पर रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) का बच्चा 3.4 किलो तक का होता था। 

क्या खाते थे रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus)? 

अगर आप डायनासॉरों में रुचि रखते हैं तो यह जानते ही होंगे कि सॉरोपोड शाकाहारी जीव हुआ करते थे।  रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) भी शकाहारी ही थे जो कि वनस्पतियों को खाकर अपने जीवन का निर्वाह करते थे। 


कैसे हुए रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus)?


वैज्ञानिकों का मानना है कि रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) मैडागास्कर में आये सूखे के चलते विलुप्त हुए थे। क्रिटेशस काल खण्ड में उस इलाके में इतना सूखा हुआ कि इन जीवों को उनकी खुराक नहीं मिल पाई और खाने की कमी के कारण यह मृत्यु का ग्रास बन गए। 
तो यह थी रैपेटोसॉरस (Rapetosaurus) नामक जीव के विषय में जानकारी जो कि मनुष्यों के आने के काफी वर्षों पहले तक धरती पर रहा करते थे। उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। 
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About विकास नैनवाल 'अंजान'

मैं एक लेखक और अनुवादक हूँ। फिलहाल हरियाणा के गुरुग्राम में रहत हूँ। मैं अधिकतर हिंदी में लिखता हूँ और अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद भी करता हूँ। मेरी पहली कहानी 'कुर्सीधार' उत्तरांचल पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुई थी। मैं मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी नाम के कस्बे के रहने वाला हूँ। दुईबात इंटरनेट में मौजूद मेरा एक अपना छोटा सा कोना है जहाँ आप मेरी रचनाओं को पढ़ सकते हैं और मेरी प्रकाशित होने वाली रचनाओं के विषय में जान सकते हैं।

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